अहमद फ़राज़ शायरी
दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
एक तू हर्फ़आश्ना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
क़ासिदा हम फ़क़ीर लोगों का इक ठिकाना नहीं कि तुझ से कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
अब तो अपना भी उस गली में 'फ़राज़' आना जाना नहीं कि तुझ से कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
बे-तरह हाल-ए-दिल है और तुझ से दोस्ताना नहीं कि तुझ से कहें
अहमद फ़राज़ शायरी
ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त
आब-ओ-दाना नहीं के तुझसे कहें