फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
आपकी याद आती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
"आपकी याद आती रही रात-भर"
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
फिर सबा सायः-ए-शाख़े-गुल के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
अबके बरस दस्तूरे-सितम में क्या-क्या बाब ईज़ाद हुए
एक और शायरी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
अबके बरस दस्तूरे-सितम में क्या-क्या बाब ईज़ाद हुए
जो कातिल थे मकतूल बने, जो सैद थे अब सय्याद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
पहले भी ख़िजां में बाग़ उजड़े पर यूं नहीं जैसे अब के बरस
सारे बूटे पत्ता-पत्ता रविश-रविश बरबाद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
पहले भी तवाफ़े-शमए-वफ़ा थी, रसम मुहब्बतवालों की
हम-तुम से पहले भी यहां मंसूर हुए, फ़रहाद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
इक गुल के मुरझा जाने पर क्या गुलशन में कुहराम मचा
इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी
'फ़ैज़' न हम यूसुफ़ न कोई याकूब जो हमको याद करे
अपना क्या, कनआं में रहे या मिसर में जा आबाद हुए