आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दें यादें ज़िंदगी बीत गई और वही यादें-यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

जिस तरह आज ही बिछड़े हों बिछड़ने वाले जैसे इक उम्र के दुःख याद दिला दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

काश मुमकिन हो कि इक काग़ज़ी कश्ती की तरह ख़ुदफरामोशी के दरिया में बहा दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

वो भी रुत आए कि ऐ ज़ूद-फ़रामोश मेरे फूल पत्ते तेरी यादों में बिछा दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

जैसे चाहत भी कोई जुर्म हो और जुर्म भी वो जिसकी पादाश में ताउम्र सज़ा दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी

भूल जाना भी तो इक तरह की नेअमत है ‘फ़राज़’ वरना इंसान को पागल न बना दें यादें

अहमद फ़राज़ शायरी