अहमद फ़राज़ शायरी
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
अहमद फ़राज़ शायरी
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभानेवाला
वही अन्दाज़ है ज़ालिम का ज़मानेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
अब उसे लोग समझते हैं गिरफ़्तार मेरा
सख़्त नादिम है मुझे दाम में लानेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
सुबह-दम छोड़ गया निक़हते-गुल की सूरत
रात को ग़ुंचा-ए-दिल में सिमट आने वाला
अहमद फ़राज़ शायरी
क्या कहें कितने मरासिम थे हमारे उससे
वो जो इक शख़्स है मुँह फेर के जानेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आनेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
मुंतज़िर किसका हूँ टूटी हुई दहलीज़ पे मैं
कौन आयेगा यहाँ कौन है आनेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते
है कोई ख़्वाब की ताबीर बतानेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
क्या ख़बर थी जो मेरी जान में घुला है इतना
है वही मुझ को सर-ए-दार भी लाने वाला
अहमद फ़राज़ शायरी
तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो "फ़राज़"
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलानेवाला
अहमद फ़राज़ शायरी
ये आलम शौक़ का देखा न जाए
एक और शायरी
अहमद फ़राज़ शायरी
ये आलम शौक़ का देखा न जाए
वो बुत है या ख़ुदा देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
ये किन नज़रों से तूने आज देखा
कि तेरा देखना देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
हमेशा के लिए मुझसे बिछड़ जा
ये मंज़र बारहा देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
ग़लत है जो सुना पर आज़मा कर
तुझे ऐ बेवफ़ा देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
ये महरूमी नहीं पासे-वफ़ा है
कोई तेरे सिवा देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
यही तो आश्ना बनते हैं आख़िर
कोई ना-आश्ना देखा न जाए
अहमद फ़राज़ शायरी
‘फ़राज़’ अपने सिवा है कौन तेरा
तुझे तुझसे जुदा देखा न जाए