फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

तुझे पुकारा है बेइरादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

तुझे पुकारा है बेइरादा जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

नदीम हो तेरा हरफ़े-शीरीं तो रंग पर आये रंगे-बादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

अता करो इक अदा-ए-देरीं तो अश्क से तर करें लबादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

न जाने किस दिन से मुंतज़िर है दिले-सरे-रहगुज़र फ़तादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

कि एक दिन फिर नज़र में आये वो बाम रौशन वो दर कुशादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो आये पुरसिश को, फिर सजाये कबा-ए-रंगीं अदा-ए-सादा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो बुतों ने डाले हैं वस्वसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो बुतों ने डाले हैं वस्वसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया वो पड़ी हैं रोज़ क़यामतें कि ख़्याल-ए-रोज़-ए-जज़ा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो नफ़स था ख़ार-ए-गुलु बना जो उठा तो हाथ क़लम हुये वो निशात-ए-आहे-सहर गई वो विक़ार-ए-दस्त-ए-दुआ गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

न वो रंग फ़स्ल-ए-बहार का न रविश वो अब्र-ए-बहार की जिस अदा से यार थे आश्ना वो मिज़ाज-ए-बाद-ए-सबा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जो तलब पे अहदे-वफ़ा किया तो वो आबरू-ए-वफ़ा गई सरे-आम जब हुए मुद्दई तो सवाबे-सिदको-सफ़ा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

अभी बादबाँ को तह् रखो अभी मुज़तरिब है रुख़-ए-हवा किसी रास्ते में हैं मुंतज़िर वो सुकूँ जो आके चला गया