इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा, लो हम भी न बोलेंगे ख़ुदा की क़सम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

मश्ग़ूल क्या चाहिए इस दिल को किसी तौर, ले लेंगे ढूँढ और कोई यार हम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

गर्मी ने कुछ आग और ही सीने में लगा दी, हर तौर घरज़ आप से मिलना है कम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

अग़ियार से करते हो मेरे सामने बातें, मुझ पर ये लगे करने नया तुम सितम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

कह कर गए आता हूँ, कोई दम में मैं तुम पास, फिर दे चले कल की सी तरह मुझको दम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

इस हस्ती-ए-मौहूम से मैं तंग हूँ "इंशा" वल्लाह के उस से दम अच्छा

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया

एक और शायरी

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया जब उन्ने दी मुझे गाली सलाम मैं ने किया

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

कहा ये सब्र ने दिल से के लो ख़ुदाहाफ़ीज़, के हक़-ए-बंदगी अपना तमाम मैं ने किया

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

झिड़क के कहने लगे लब चले बहुत अब तुम, कभी जो भूल के उनसे कलाम मैं ने किया

इब्न-ए-इंशा शायरी ग़ज़लें

हवस ये रह गई साहिब ने पर कभी न कहा, के आज से तुझे "इंशा" ग़ुलाम मैंने किया