फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता सनम दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल में मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें यहाँ पैमाने-तस्लीमो-रज़ा ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा, ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

रवाँ है नब्ज़े-दौराँ, गार्दिशों में आसमाँ सारे जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िरे-शब

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

"याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िरे-शब" दिल में बिख़री कोई ख़ुशबू-ए-क़बा आख़िरे-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

सुब्‍ह फूटी तो वो पहलू से उठा आख़िरे-शब वो जो इक उम्र से आया न गया आख़िरे-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

चाँद से माँद सितारों ने कहा आख़िरे-शब कौन करता है वफ़ा अहदे-वफ़ा आख़िरे-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

लम्से-जानाना लिए, मस्ती-ए-पैमाना लिए हम्दे-बारी को उठे दस्ते-दुआ आख़िरे-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

घर जो वीराँ था सरे-शाम वो कैसे-कैसे फ़ुरक़ते-यार ने आबाद किया आख़िरे-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

जिस अदा से कोई आया था कभी अव्वले-सुब्‍ह "उसी अंदाज़ से चल बादे-सबा आख़िरे-शब"