फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

यह मौसमे-गुल गर चे तरबख़ेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

यह मौसमे-गुल गर चे तरबख़ेज़ बहुत है अहवाले गुल-ओ-लाला ग़म-अँगेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

ख़ुश दावते-याराँ भी है यलग़ारे-अदू भी क्या कीजिए दिल का जो कम-आमेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

यूँ पीरे-मुग़ाँ शैख़े-हरम से हुए यकजाँ मयख़ाने में कमज़र्फ़िए परहेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

इक गर्दने-मख़लूक़ जो हर हाल में ख़म है इक बाज़ु-ए-क़ातिल है कि ख़ूंरेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

क्यों मश'अले दिल 'फ़ैज़' छुपाओ तहे-दामाँ बुझ जाएगी यूँ भी कि हवा तेज़ बहुत है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

य' किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

एक और शायरी  

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

य' किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया फिर आज किसने सुख़न हमसे ग़ायबाना किया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

ग़मे-जहां हो, रुख़े-यार हो, कि दस्ते-उदू सलूक जिससे किया हमने आशिकाना किया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

थे ख़ाके-राह भी हम लोग, कहरे-तूफ़ां भी सहा तो क्या न सहा, और किया तो क्या न किया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

खुशा कि आज हरइक मुद्दई के लब पर है वो राज़, जिसने हमें रांदए-ज़माना किया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ शायरी

वो हीलागर जो वफ़ाज़ू भी है, ज़फ़ाख़ू भी किया भी 'फ़ैज़' तो किस बुत से दोस्ताना किया