नई दिल्ली. हवा से हवा में मार कर सकने वाली स्वदेशी विजुअल रेंज ‘अस्त्र’ मिसाइल के विकास संबंधी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिए गए हैं. इसके साथ ही इसे वायुसेना में शामिल करने की ओर एक कदम और बढ़ गया है.शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इन परीक्षणों को 11 से 14 सितंबर के बीच ओडिशा समुद्रतट पर स्थित चांदीपुर से बंगाल की खाड़ी के ऊपर अंजाम दिया गया. एसयू-30 लड़ाकू विमानों के जरिये इन मिसाइलों से पायलट रहित लक्ष्य विमानों (पीटीए) को निशाना बनाया गया.
इस दौरान ऐसे सात परीक्षण किए गए और सभी सफल रहे. दो मिसाइलों को युद्धक परिस्थितियों में वारहेड के साथ भी लांच किया गया और उन्होंने लक्ष्यों को बेअसर कर दिया. इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना ने मिलकर विकसित किया है. जबकि इन्हें लगाने के लिए लड़ाकू विमानों में बदलाव हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किए.वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस मिसाइल की तकनीक बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि’ से काफी जटिल है. इसकी वजह यह है कि जब इस मिसाइल को लड़ाकू विमान से लांच किया जाता है तो इसका लक्ष्य दृष्टि में नहीं होता है.
युद्धग्रस्त इलाके में भारतीय सेना किसी बारूदी सुरंग का शिकार होने से बच सके, इसके लिए रक्षा संगठन डीआरडीओ ने स्वदेशी ट्रॉल सिस्टम बनाया है. यह सिस्टम बारूदी सुरंगों को भेदकर सेना के वाहनों के लिए सुरक्षित लेन तैयार करता है. डीआरडीओ के बनाए इस सिस्टम के नीचे कई बार ब्लास्ट के जरिये हाल में टेस्ट किया गया, जिसमें सिस्टम खुद को बचाने में कामयाब रहा. जल्द ही यह सिस्टम सेना को ट्रायल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.