Advertisement

सुप्रीम कोर्ट में सरकार का हलफनामा,रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा

 नई दिल्ली: रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताने के चंद घंटों के बाद केंद्र सरकार ने कहा कि इस मसले पर उसकी और से अंतिम निर्णय नही लिया गया है.सरकारी वकील की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि हलफनामा गलती से याचिकाकर्ता के वकील को भेज दिया गया. हालांकि उस हलफनामे में संबंधित अधिकारी का हस्ताक्षर भी है. इससे पहले खबर आई थी कि रोहिंग्या मुस्लिमों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रोहिग्या मुसलमान भारत में नहीं रह सकते. केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से जाना ही होगा. वे भारत में नहीं रह सकते. रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

Advertisement

हलफनामे में कहा गया कि सरकार को ये खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या मुसलमान आतंकी संगठन के साथ मिले हुए हैं. केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों को ISIS इस्तेमाल कर सकता है इतना ही नही रोहिंग्या मिलीटेंट ग्रुप दिल्ली, जम्मू, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय है. केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रहित में उन्हें वापस भेजना जरूरी है. केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा कि अवैध रूप से आए लोगों को भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ये मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आता.इससे पहले जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की . उन्होंने याचिका में कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर दाखिल की जा रही याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जाए. गौरतलब है कि जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है जिसमें केंद्र सरकार ने उन्हें म्यांमार वापस भेजने का फैसला किया है.
म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है। इस पर बांग्लादेश के राजदूत ने कहा कि अगर रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन रोका नहीं गया तो भारत सहित संपूर्ण क्षेत्र के लिए खतरा होगा। इससे भारत के उग्रवाद प्रभावित पूर्वोत्तर राज्यों समेत पूरे क्षेत्र में सुरक्षा की चिंता हो सकती है। बांग्लादेश के उच्चायुक्त सईद मौज्जम अली ने कहा कि बांग्लादेश भारत को एक रीजनल पावर के रूप में देख रहा है। वह म्यांमार से पलायन कर गए रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन को रोकने और पलायन कर गए लोगों की स्वदेश वापसी में बड़ी भूमिका निभाएगा। पिछले दो दशकों में बांग्लादेश में लगभग 4,00,000 रोहिंग्या मुसलमानों ने शरण ले ली थी। उनकी संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। 25 अगस्त को रोहिंग्या मुसलमानों ने पुलिस वालों पर हमला कर दिया। इस लड़ाई में कई पुलिस वाले घायल हुए, इस हिंसा से म्यांमार के हालात और भी खराब हो गए।

Advertisement