लंदन. पुरातत्वविदों ने सेंट निकोलस का मकबरा खोज निकालने का दावा किया है जिनके गुप्त उपहार देने के स्वभाव के कारण सांता क्लॉस की कथा का जन्म हुआ. यह मकबरा तुर्की में एक चर्च के खंडहर के नीचे मिला है. शोधकर्ताओं ने डेमरे जिले में सेंट निकोलस चर्च के नीचे एक अक्षुण्ण गिरिजाघर का पता लगाया है.
वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यों के दौरान गिरिजाघर के एक विशेष खंड का पता चला.कहते हैं कि यहीं ज़मीन के नीचे मक़बरा है.
तुर्की में सर्वेइंग एंड मान्यूमन्ट के अंटाल्या निदेशक केमिल कारबयराम के अनुसार चर्च की सतह के नीचे डिजिटल सर्वेक्षण के दौरान शोधकर्ताओं को एक अज्ञात मकबरे का पता चला है. वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन में खुलासा हुआ कि चर्च के नीचे सही सलामत एक मकबरा मौजूद है.
करबयराम ने ‘हुर्रियत डेली न्यूज’ के अनुसार, इस मकबरे को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन इसके फर्श पर की गई नक़्क़ाशी के कारण उस तक पहुंचना काफी मुश्किल है.
सांता का आज का जो प्रचलित नाम है वह निकोलस के डच नाम सिंटर क्लास से आया है. जो बाद में सांता क्लॉज़ बन गया. जीसस और मदर मैरी के बाद संत निकोलस को ही इतना सम्मान मिला. सन् 1200 से फ्रांस में 6 दिसम्बर को निकोलस दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
इस दिन संत निकोलस की मृत्यु हुई थी.17वीं सदी में इसका अमेरिकी वर्जन सामने आया – सांता क्लाउस. क्लीमेंट मूर की नाइट बिफोर क्रिसमस में 1822 ईस्वी में छपे सांता के कार्टून ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान खींच लिया.
जब थॉमस नैस्ट नामक पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट ने हार्पर्स वीकली के लिए एक इलस्ट्रेशन तैयार किया, जिसमें सफेद दाढ़ी वाले सांता क्लाउस को लोकप्रिय शक्ल मिली. धीरे-धीरे सांता की शक्ल का उपयोग विभिन्न ब्रांड्स के प्रचार के लिए किया जाने लगा.
आज भी ऐसा कहा जाता है कि सांता अपनी वाइफ और बहुत सारे बौनों के साथ उत्तरी ध्रुव में रहते हैं. वहां पर एक खिलौने की फैक्ट्री है जहां सारे खिलौने बनाए जाते हैं. सांता के ये बौने साल भर इस फैक्ट्री में क्रिसमस के खिलौने बनाने के लिए काम करते हैं.
आज विश्वभर में सांता के कई पते हैं जहां बच्चे अपने खत भेजते हैं, लेकिन उनके फिनलैंड वाले पते पर सबसे ज़्यादा खत भेजे जाते हैं. देश-विदेश के कई बच्चे सांता क्लॉज़ को खत की जगह ई-मेल भेजते हैं. जिनका जवाब उन्हें मिलता है और क्रिसमस के दिन उनकी विश पूरी की जाती है.