नई दिल्ली. अमेरिकी फर्म एफएसएच रिसर्च की मानें तो इससे भारत में आइटी और बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले सात लाख लोगों की नौकरी खतरे में है. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक पांच साल में ये कर्मचारी अपनी नौकरी गंवा सकते हैं.बढ़ते ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के इस्तेमाल की वजह से अभी इस क्षेत्र में रोजगार के हालात और खराब होने वाले हैं.इसका सबसे ज्यादा असर भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में दिखाई देगा। रिपोर्ट के मुताबिक आइटी फर्में रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (आरपीए) और एआइ को तेजी से अपना रही हैं।
वर्ष 2016 ज्यादा विशेषज्ञता वाले 3,20,000 लोगों को नौकरी मिली हुई थी। भारत में यह रुझान ग्लोबल माहौल के ही मुताबिक है, क्योंकि विश्व स्तर पर कम कौशल वाली आइटी और बीपीओ की नौकरियों में 31 फीसद की गिरावट आने की आशंका है।ऑटोमेशन और एआइ के कारण घरेलू आइटी और बीपीओ सेक्टर में निम्न कौशल वाले कर्मचारियों की संख्या 2022 तक घटकर 17 लाख रह जाएगी।वर्ष 2016 में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 24 लाख थी। रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी दौरान मध्यम और उच्च कौशल वाली नौकरियों में बढ़ोतरी भी होगी।
फिलहाल कंपनियां अपने सर्विस कांट्रेक्ट पर आरपीए से पड़ने वाले असर का पता लगा रही हैं।वे इस बदलाव के लिए खुद को तैयार करने पर ध्यान दे रही हैं। कंपनियों का मानना है कि वे पांच साल तक तो वे हालात को संभाल सकती हैं, उसके बाद कर्मचारियों पर पड़ने वाला असर बेहद चुनौती भर होगा।मध्यम स्तर के कौशल वालों के लिए नौकरियां नौ लाख से बढ़कर 10 लाख हो सकती हैं। उच्च कौशल वाले लोगों के लिए नौकरियों की संख्या बढ़कर 5,10,000 के आंकड़े पर पहुंच सकती है।
इसके उलट मध्यम कौशल स्तर वालों के मामले में नौकरियों में 13 फीसद और अधिक विशेषज्ञता वालों के लिए 57 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है।अगर देश के आइटी और बीपीओ क्षेत्र सेक्टर में नौकरियों के कुल नुकसान को देखें तो इसका आंकड़ा 4,50,000 तक हो सकता है। 2016 में इस सेक्टर में 36.5 लाख लोग काम करते थे।इनकी संख्या 2022 में घटकर 32 लाख हो जाने की संभावना है। ऑटोमेशन के कारण ग्लोबल आइटी व बीपीओ सेक्टर की नौकरियों में 7.5 फीसद गिरावट आएगी।